हिन्दी हिंद देश, अर्थात भारत, की राष्ट्र भाषा है | तकरीबन एक तिहाई भारतीय लोगों में बोले जाने वाली ये भाषा, देवनागरी लिपि में लिखी तथा पढी जाती है | इसके अलावा, उत्तर तथा उत्तर पूर्वी भारत में इसकी विभिन्न बोलियों का भी उपयोग होता है, जैसे मैथिली, खरीबोली, कन्नौजी, अवधी, छत्तिसगडी, भोजपुरी, मगधी, सदरी, पहाडी तथा और कंई | सन 2006 के अनुमान के अनुसार, करीब एक तिहाई भारतीय लोग, यानी लगभग 35 करोड़ लोग, हिन्दी में साधारणताः निपुण हैं | लगभग एक तिहाई और लोग हिन्दी समझ लेते हैं तथा कुछ हद तक बोल पाते हैं | विश्व भर में, जैसे-जैसे जहाँ-जहाँ भारतीय लोग बसते चले गए, हिन्दी का प्रचार होता रहा | मगर यह भी एक कड़वा सच है, कि अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में अंग्रेजी का उपयोग तथा उसकी मान्यता जैसे-जैसे बढ़ी, हिन्दी का उपयोग भारत में कम होता चला गया |
भारत के कंप्यूटर युग के प्रति बड़ते कदम ने अंग्रेजी को और ज्यादा महत्वता दी, जिसके कारण, आज के युग में हिन्दी मात्र एक औपचारिक भाषा बनती नज़र आ रही है, जिसे केवल महत्वपूर्ण क्षणों में भाषण स्वरूप उपयोग किया जाता है | कभी-कभी ऐसा लगता है, जैसे हिन्दी एक दिन संस्कृत के जैसे, लगभग लुप्त हो जायेगी, तथा सहित्य के अलावा इसका उपयोग लगभग ना के बराबर होगा |
मगर, इस भाषा कि अपनी ही एक शान है | अन्य भाषाओं से भिन्न, हिन्दी एक ध्वनि-तरंगित भाषा है (अंग्रेजी में इसे फोनेटिक कहा जाता है); यानी, इसके शब्दों को जिस प्रकार लिखा जाता है, उसी तरह बोला जाता है | अंग्रेजी कि तरह, इसमें एक अक्षर के अलग शब्दों में अलग बोल नहीं होते, और ना ही इसमें ना प्रयोग किए जाने वाले अक्षर होते हैं (साइलेंट अक्षर) | इस कारण, इस भाषा को सहित्य तथा कला-वर्णनों में बड़ी सुंदर ढंग से उपयोग किया गया है |
ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे हिन्दी सीखने तथा बोलने का अवसर मिला | राष्ट्र भाषा होने के नाते, मुझे इस बात का भी गर्व है, कि मुझे हिन्दी का ज्ञान प्राप्त हुआ; मेरी मात्र भाषा अलग भाषा होने के बावजूद | मुझे इस बात का एहसास एक बड़े ही अनुठे तथा मजेदार तरीके से हुआ |
मेरे पोलैंड के सफर के दौरान, हमारी पोलैंड भागीदारी कम्पनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने मुझसे हिन्दी में येसु-दिवस तथा नव-वर्ष कि शुभ कामनाओं को हिन्दी में उनके कर्मचारियों को प्रस्तुत करने को कहा | एक पल के लिए को में सहम गया ! एक लंबे अरसे बाद, मुझे इस बात का अवकाश मिला था, और जैसा की इन क्षणों में होता है, पूरे शरीर में एक बिजली सी दौड़ गई ! दोस्तों तथा संगियों के साथ हिन्दी का बोलना और होता है, तथा, औपचारिक भाषा अलग होती है | हालांकि, पोलिश कर्मचरियों को मेरी हिन्दी का हल्का सा भी अंदाजा नहीं होना था, यह तो तय था ! मगर, हमारी शराफात तथा, उनकी प्यार भरी मिन्नत ने, यह आवाज़ लगाई, की कुछ भी हो, यह प्रस्तुति, सबसे उच्च स्तरीय हिन्दी भाषा में प्रस्तुत की जानी चाहिए |
फिर क्या था ! हमने एकदम खालिस हिन्दी में सभी उपस्थित कर्मचारियों को तथा वरिष्ठ अधिकारियों को भावभीनी शुभकामनाएँ प्रस्तुत की, तथा, इस सुंदर क्षण के लिए तहे दिल से शुक्रिया अदा किया | मनुष्य जाती में, भाषा कभी अड़चन नहीं बन सकती - अगर दिल में लगन, और मन में शक्ति हो तो | मेरी भाषा के साथ - साथ मेरे खुशी भरे चेहरे का प्रतिबिम्ब, और उनकी और से आता मुस्कराहटों का गुलदस्ता, इन दोनों ने मिलकर, शुभकामनाओं का आदान प्रदान किया, और अंत में तालियों की गड-गडाहट ने इस बात को साबित कर दिया, की यदि दिल में सच्चाई हो, तो भाषा कभी अड़चन नहीं बन सकती | मेरी खुशी इस बात से और बढ़ी, की उसी वरिष्ठ अधिकारी ने, बाद में, मुझसे पूछा, की हिन्दी में धन्यवाद कैसे कहा जाता है, उसे याद किया, तथा, फिर मुझे "धन्यवाद" कहा !!
चित्र : येसु-दिवस तथा नव-वर्ष समारोह "विगिलिया", वारसा, पोलैंड - 2007
सोचता हूँ, की अगर भारत से बाहर आकर अगर किसीको कभी किसी से यह केहना पड़े, की उसे हिन्दी नहीं आती, तो उसके, तथा हमारे देश के लिए, इससे बड़ी लांछन भरी बात नहीं हो सकती | एक जिम्मेदार भारतीय नागरिक, तथा, गौरवपूर्ण भाषा हिन्दी ज्ञानित के नाते, मेरा सभी भारतीयों से विनम्रतापूर्ण आग्रह है कि, हिन्दी का ज्ञान अवश्य प्राप्त करें, तथा, गर्व से उसका उपयोग करें | जय हिंद !!
जय हिंद !!